Tuesday, July 26, 2011

कलमाड़ी की बीमारी-राजपरिवार को बचाने की चाल

कोर्ट में कलमाड़ी के वकील ने एक अपील दायर की है कि, कलमाड़ी को भूलने की बीमारी "डिमेंशिया" हों गई है जो कि, ये राबर्ट बढेरा और सोनिया गाँधी को कॉमनवेल्थ घोटाले से बचाने की कांग्रेस की पूरी तैयारी है.

अजीब बात है कलमाड़ी केंद्र में मंत्री रहे, आई ओ सी के चीफ रहे. कई खेल संघों के चीफ रहे, आयोजन समिति के चीफ रहे. सांसद रहे खुद एक माने-जाने उद्योगपति है कई 5 स्टार होटलों के मालिक है पूरे देश में कई पेट्रोल पम्प उनके है. इनता सब कुछ वो एक साथ मैनेज करते है, भूलने की बीमारी एक दम अचानक किसी को नहीं होती, एक बीमारी है "पर्किंसन" वो इंसान को अस्सी साल के बाद होती है लेकिन वो भी एकदम अचानक नहीं होती कि, कोई अरबो रूपये के घोटाले में जेल जाये फिर बोले की वो सब कुछ भूल गया.

गुलाम मंडल खेलों के घोटाले में खेल गांव के कमरों और स्डेडियम की पूरी साज सज्जा राबर्ट बढेरा की कम्पनी ने किया था और कांग्रेस अच्छी तरह समझती है कि , अगर कलमाड़ी ने अपना मुंह खोल दिया तो सोनिया और उनके "राजपरिवार" की हकीकत पूरे देश के सामने आ जायेगी.कलमाड़ी के वकील कि, ये अपील इस पूरे केस को खत्म कर देने की साजिश है. कानून में भूलने की बीमारी को एक मनोरोग का दर्जा मिला है और हमारे देश का कानून किसी भी मनोरोगी के बयान को सही नहीं मानता. फिर कलमाड़ी के वकील इस मनोरोग के दम पर कलमाडी की रिहाई भी करवा लेंगे . क्योंकि कानून के हिसाब से किसी भी मनोरोगी को जेल में नहीं रखा जा सकता .एक बार कलमाड़ी मनोरोगी घोषित हो गए तब कलमाड़ी अगर अपने बयान में किसी का नाम भी लेते है तो कोई मामूली वकील भी उनके बयान को उनकी बीमारी का आधार बना कर एक "पागल का बकवास " करार देकर उसके प्रामाणिक होने पर ही सवाल उठा देगा. तब ना कलमाड़ी का कुछ बिगड़ेगा और ना ही इस घोटाले में लिप्त अन्यो का.

लेकिन एक बात हमारी समझ में नहीं आती कि, एक तरफ कलमाड़ी अपने को बीमार बता रहे है और एक तरफ संसद के अधिवेशन में भाग लेने की अपील करते है. सच में भारत का कानून कभी भी किसी नेता खासकर कांग्रेसी नेता का कुछ नहीं बिगाड सकता. क्योकि हाकिम भी ये ही है और इज़रदार भी!

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